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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2644
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भाषा विकास के प्रारम्भिक रूप पर टिप्पणी लिखिए।
2. भाषा विकास के उच्च रूप का वर्णन कीजिए।
3. भाषा विकास में हाव-भाव का क्या महत्व है?
4. भाषा विकास में शब्द भण्डार के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
5. बच्चों के शब्द भण्डार का निर्माण पर टिप्पणी लिखिये।

उत्तर -

भाषा विकास की विभिन्न अवस्थायें
(Different Stages of Language Development)

भाषा विकास के प्रक्रम को दो चरणों में स्पष्ट किया जा सकता है। इन्हें प्रारम्भिक एवं उच्च रूप कहते हैं। इनका विवरण निम्नलिखित हैं-

भाषा विकास का प्रारम्भिक रूप
(Preliminary Form of Language)

बच्चों में शब्दों का स्पष्ट उच्चारण तथा उनके महत्व को समझने की योग्यता प्रदर्शित होने के पहले उनमें कुछ ऐसे व्यवहार देखने को मिलते हैं जिन्हें भाषा विकास का प्रारम्भिक रूप माना जाता है। प्रारम्भ में इन्हीं विशेषताओं का प्रदर्शन होता है एवं उनमें भाषा विकास की नींव पड़ती है। यह विकास निम्नलिखित रूप में होता है -

1. क्रन्दन (Crying) - भाषा विकास की दृष्टि से बच्चों में जन्म के समय तथा उसके बाद भी रोने वाला व्यवहार क्रन्दन, काफी महत्वपूर्ण है। जन्मोपरान्त के प्रारम्भिक महीनों में क्रन्दन अधिक होता है। बच्चों में जन्मोपरान्त तीसरे सप्ताह में प्रदर्शित होने वाला क्रन्दन व्यवहार प्रथम सप्ताह के क्रन्दन व्यवहार से भिन्न मालूम होता है। इसके बाद आयु बढ़ने के साथ-साथ क्रन्दन के स्वरूप में अन्तर आने लगता है और क्रन्दन के साथ हाव-भाव तथा शारीरिक गतियाँ भी प्रदर्शित होने लगती हैं। बच्चों में सम्प्रेषण का यह एक प्रारम्भिक रूप है।

2. विस्फोटक ध्वनियाँ तथा बलबलाना (Explosive Sounds and Babbling) - जन्मोपरान्त प्रथम महीने में ही क्रन्दन के अतिरिक्त बच्चों में अनेक प्रकार की साधारण ध्वनियाँ उत्पन्न होने लगती हैं ब्लैण्ट (1917) ने इस अवधि में उत्पन्न होने वाली ध्वनियों को रिकार्ड किया और वह इस निष्कर्ष पर पहुँची कि प्रारम्भ में बच्चे माँ के साथ आ, दा के साथ आ. चा के आ या च इत्यादि ध्वनियों का प्रदर्शन अधिक करते हैं। बाद में इन्हीं से अनेक शब्दों का निर्माण प्रारम्भ होता है। प्रायः 3-4 माह की आयु में बच्चे आ, अ, अ, अंइ, ई, ऊ इत्यादि ध्वनियाँ उच्चारित करते हैं। यदि ध्यानपूर्वक इन्हें सुना जाये तो ये ध्वनियाँ अत्यन्त रोचक लगती हैं। इन्हें विस्फोटक ध्वनियाँ कहते हैं। इनकी उत्पत्ति स्वर प्रणाली में संयोगवश होने वाली गतियों के कारण होती हैं। बहरे बच्चों में भी इस प्रकार की ध्वनियाँ प्राप्त होती हैं। बच्चे 3-4 माह में इच्छानुसार बोलना प्रारम्भ करते हैं एक छठवें माह तक के स्वर तथा व्यंजनों को मिला कर कुछ कहने की योग्यता प्रदर्शित करने लगते हैं। इसे ही बलबलाने की अवस्था कहते हैं जिसमें बच्चे स्वर - व्यायाम (vocal exercise) कहते हैं परन्तु वे इनका अर्थ समझ पाने में असमर्थ होते हैं। बलबलाने की अवस्था तीसरे माह से आठवें माह तक मानी जाती है। इसमें बच्चों को स्वयं उच्चारित ध्वनियों को सुनने में बहुत आनन्द आता है। (Lennenberg and Lenneberg, 1975, Zelozo, 1972) जब वे अकेले. होते हैं तो ऐसा व्यवहार प्रायः करते हैं लतीफ (Latif, 1934) के अनुसार सामान्य बच्चों में बलबलाने की क्रिया गूंगे बच्चो की अपेक्षा अधिक होती है। इस अवस्था में बच्चे प्रायः ऐसी ध्वनियाँ करते हैं जो उन्हें अधिक प्रिय होती हैं। इस प्रकार वे आत्म-अनुकरण करते हैं। कुछ बच्चों में यह अवस्था द्वितीय वर्ष तक जारी रहती है।

3. हाव-भाव (Gestures) - भाषा विकास के प्रारम्भिक रूपों में हाव-भाव का भी विशेष महत्व है। बच्चे शीघ्र ही हाव-भाव प्रकट करना सीख लेते हैं और उनके माध्यम से दूसरों को अपने विचारों से अवगत कराना चाहते हैं। उदाहरणार्थ, यदि वे भूखे नहीं हैं तो वे दूध पिलाते समय सिर टेढ़ा कर लेते हैं और मुँह से चम्मच बाहर निकाल देते हैं। वे प्रायः पिलाया हुआ दूध बाहर कर देते हैं, खिलाते -पिलाते समय मुँह घुमा लेते हैं या मुस्कराकर अपना हाथ ऊपर उठाते हैं ताकि उन्हें उठा लिया जाये। स्नान कराते समय वे भागते हैं, अकड़ते हैं या आगे-पीछे भागते हैं। ऐसा वे प्रतिरोध प्रकट करने के लिए करते हैं। बच्चों के हाव-भाव तथा वयस्कों के हाव-भाव में केवल अन्तर यह होता है कि बच्चे शब्दों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं और वयस्क अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए शब्दों का प्रयोग करते हैं और साथ-साथ पूरक संकेतों के माध्यम से भावों को व्यक्त करते हैं। क्रन्दन की भाँति हाव-भाव का भी सम्प्रेषण में विशेष महत्व होता है।

4. संवेगात्मक अभिव्यक्ति (Emotional Expression ) - बच्चों में सम्प्रेषण की पूर्णवाणी अवस्था में एक और रूप दिखाई देता है। इसमें वे संवेगों को अपने चेहरे एवं परिवर्तनों द्वारा व्यक्त करते हैं। सुखद संवेगों की दशा में विशेष ध्वनि कूजन (Cooing) तथा हंसी आदि प्रदर्शित होती है जबकि दुःखद संवेगों की दशा में क्रन्दन एवं पिनपिनाहट (Whimpering) आदि का प्रदर्शन होता है। संवेगात्मक अभिव्यक्ति जो माता-पिता द्वारा की जाती है उससे बच्चों को संवेगात्मक भावों को समझने तथा प्रेषण करने में सहायता मिलती है। बच्चों में वाक्य क्षमता आ जाने के बाद भी संवेगात्मक अभिव्यक्ति सम्प्रेषण एक प्रभावी रूप में जारी रहती है।

भाषा के विकास के उच्च रूप
(Advanced Forms of Language Development)

भाषा विकास के उच्च रूप निम्नलिखित हैं-

1. बोध या समझ (Comprehension) - बच्चों में अन्य व्यक्तियों के कथन या निर्देशों को समझने की योग्यता स्वयं के शब्द प्रयोग की क्षमता से पहले ही प्रदर्शित होने लगती है। ऐसे शब्द जिनका बोध बच्चों या किसी अन्य को भी होता है, उनकी क्षमता अधिक तथा अपने शब्द कोष में ज्ञात शब्दों की संख्या कम होती है। इस तरह की विशेषता हर आयु वर्ग के लोगों में पायी जाती है। उदाहरण के लिए अपने देश में अंग्रेजी भाषा कुछ न कुछ सभी शिक्षित व्यक्ति जानते हैं। यदि वार्तालाप होता है हम दूसरे व्यक्ति की बातों को समझ लेते हैं परन्तु उतना नहीं बोल पाते हैं इससे स्पष्ट है कि भाषा या शब्दों की समझ पहले ही विकसित हो जाती है जबकि उच्चारण या विचारों की वाचिक अभिव्यक्ति क्षमता बाद में विकसित और प्रदर्शित होती है बोध के दृष्टिकोण से विभिन्न शारीरिक अभिव्यक्तियों का विशेष महत्व है टरमन एवं मेरिल के अनुसार बच्चों में दो वर्ष में दो, और 621⁄2 वर्ष में तीन निर्देशों की समझ आ जाती है। इस काल में अधिगम विशेष महत्व रखता है।

2. शब्द भण्डार का निर्माण (Building a Vocabulary) - आयु में वृद्धि तथा अधिगम परिस्थितियों का लाभ मिलने के कारण बच्चे धीरे-धीरे शब्दों को सीखना तथा बोलना प्रारम्भ करते हैं। इस प्रकार वे अपने लिए शब्द भण्डार का निर्माण करते हैं तथा उसका उपयोग भी करते हैं। शब्द भण्डार दो प्रकार का होता है।

(i) सामान्य शब्द भण्डार (General Vocabulary) - इस अवधि में बच्चे वाणी या कथन के सभी भागों का अधिगम नहीं करते हैं बल्कि अपने उपयोग की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण शब्दों का ही अर्जन करते हैं। इस प्रकार के शब्द भण्डार में संज्ञा शब्दों (Nouns) की ही अधिकता होती है। सर्वप्रथम बच्चे पापा, मामा आदि संज्ञा पदों का ही अधिगम करते हैं। इस शब्दों के अधिगम पर घर के अन्य सदस्यों के द्वारा बोले जाने वाले कथनों का भी प्रभाव पड़ता है संज्ञा पदों के बाद बच्चों के शब्द कोष में क्रिया, विशेषण, क्रिया-विशेषण आदि शब्दों का क्रमशः विकास होता है सर्वनाम शब्दों का विकास सबसे बाद में होता है। विशेषणों के रूप में सबसे पहले अच्छा, बुरा, शरारती इत्यादि का अधिगम होता है और क्रिया-विशेषण के रूप में यहाँ, वहाँ आदि का अर्जन होता है।

(ii) विशेष शब्द भण्डार (Special Vocabulary) - बच्चों की आयु तथा सामाजिक सम्बन्धों में वृद्धि होने के कारण विचारों को संप्रेषित करने की दृष्टि से सामान्य शब्द भण्डार पर्याप्त नहीं होते हैं। अतः वे विशेष शब्द भण्डार का निर्माण करते हैं। प्रारम्भिक दो वर्षों में इस योग्यता का अभाव होता है परन्तु तीसरे वर्ष से विशिष्ट शब्दकोष का निर्माण आरम्भ हो जाता है। प्रारम्भ में उसे कठिन एवं विस्तृत शब्दों को सीखने में कठिनाई होती है परन्तु मानसिक योग्यता में वृद्धि स्वर यंत्र की परिपक्वता तथा अधिगम के कारण विशिष्ट शब्दों को सीखना सरल होता जाता है। विशिष्ट शब्द भण्डार के निर्माण की प्रक्रिया तथा उसके पक्षों का अध्ययन अनेक मनोवैज्ञानिकों ने किया है। इन अध्ययनों से पता चलता है कि विशिष्ट शब्द भण्डार के निर्माण में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व वैयक्तिक कारकों का बहुत प्रभाव पड़ता है।

3. वाक्य निर्माण (Sentence Forming) - भाषा विकास के रूपों में तीसरी महत्वपूर्ण अवस्था वाक्यों के निर्माण की योग्यता का विकास होती है। प्रारम्भ में बच्चे प्रायः एक ही शब्द से अपनी विचारधारा को व्यक्त करते हैं जैसे कोई बच्चा कहता है, कि 'दीजिये तो उसका अर्थ यह हुआ कि 'मुझे वह वस्तु दीजिए। इस प्रकार शब्दों के साथ वह संकेत या हाव-भाव भी व्यक्त करता है। शब्दों को जोड़कर वाक्य बनाने की योग्यता द्वितीय वर्ष में आरम्भ होती है और धीरे-धीरे इसकी क्षमता बढ़ती ही रहती है। बारह से अठारह माह तक उनमें एक ही शब्द के वाक्य प्रदर्शित करने की क्षमता होती है। इसके बाद वे दो या इससे अधिक शब्दों को जोड़कर वाक्य बनाने लगते हैं। इस प्रकार उनमें भाषा विकास की प्रक्रिया पूर्णता की ओर अग्रसर होती है। दूसरे वर्ष के अन्त तक वे छोटे-छोटे वाक्य बनाने लगते हैं और साथ-साथ संकेतों एवं हाव-भाव का भी प्रयोग करते हैं। धीरे-धीरे वाक्यों की लम्बाई बढ़ती जाती है और संकेतों एवं हाव-भाव का प्रयोग कम हो जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  2. प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  3. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  5. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  6. प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
  10. प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
  11. प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
  12. प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
  13. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
  14. प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
  16. प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
  17. प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
  19. प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  23. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  24. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
  25. प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
  26. प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
  28. प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
  29. प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
  30. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  31. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  32. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  33. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  34. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
  35. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
  37. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
  38. प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
  48. प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
  51. प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
  54. प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
  56. प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
  57. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
  58. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
  60. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
  64. प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
  65. प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
  66. प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
  67. प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
  72. प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
  75. प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
  77. प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
  79. प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
  80. प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
  81. प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
  82. प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
  84. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  85. प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
  86. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  87. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  88. प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  90. प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  92. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
  93. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
  96. प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
  97. प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
  99. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
  101. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
  102. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  104. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
  105. प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
  107. प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  110. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
  111. प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।

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